Bhayanak Ras Thursday 21st of November 2024
Bhayanak Ras जब भय जैसी स्थाई भाव, विभाव, अनुभाव से सयोग करते हैं तो वहां पर भयानक रस की उत्पत्ति होती है।
उलट नाम जपत जग जाना
वल्मीक भए ब्रह्म समाना
अँसुवन जल सिंची-सिंची प्रेम-बेलि बोई,
मीरा की लगन लागी, होनी हो सो होई।
एक भरोसो एक बल, एक आस विश्वास,
एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास।
भयानक रास का स्थायी भाव भय होता है। जब किसी भयानक अथवा अनिष्टकारी व्यक्ति या वस्तु को देखने अथवा उससे सम्बंधित वर्णन करने या किसी अनिष्टकारी घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता जागृत होती है उसे भय कहा जाता है तथा उस भय के उत्पन्न होने के कारण जिस रस कि उत्पत्ति होती है उस रास को भयानक रस कहा जाता है। इसके अंतर्गत पसीना छूटना,कम्पन, चिन्ता, मुँह सूखना, आदि के भाव उत्पन्न होते हैं।
किसी भयप्रद वस्तु, व्यक्ति या स्थिति का ऐसा वर्णन जो मन में भय का संचार करें, भयानक रस की व्यंजना करता है।
उधर गरजती सिंधु लहरियाँ
कुटिल काल के जालों सी।
चली आ रहीं फेन उगलती
फन फैलाये व्यालों सी।
आज बचपन का कोमल गात
जरा का पीला पात !
चार दिन सुखद चाँदनी रात
और फिर अन्धकार , अज्ञात !
अखिल यौवन के रंग उभार, हड्डियों के हिलाते कंकाल
कचो के चिकने काले, व्याल, केंचुली, काँस, सिबार
एक ओर अजगर हिं लखि एक ओर मृगराय
विकल बटोही बीच ही, पद्यो मूर्च्छा खाय
वीरगाथात्मक रसों ग्रन्थों में रण, युद्ध,विजय,प्रयाण, आदि अवसरों पर भयानक रस का सुन्दर वर्णन मिलता है।
रीति कालीन वीर काव्यों में भय का संचार करने वाले अनेक प्रसंग हैं जिसे भूषण की रचनाएँ इस सम्बन्ध में विशेष महत्त्वपूर्ण हैं।
वर्तमान काल में श्यामनारायण पांडेय,मैथिलीशरण गुप्त, ‘दिनकर’ इत्यादि की विविध रचनाओं में भी भयानक रस का उल्लेख्य किया गया है।
रामचरितमानस’ में लंकाकाण्ड में भयानक के प्रभावशील चित्रण है। हनुमान द्वारा लंकादहन का प्रसंग भयानक रस की प्रतीति के लिए पठनीय है।
भारतेन्दु द्वारा प्रणीत ‘सत्य हरिश्चन्द्र’ नाटक में श्मशान वर्णन के प्रसंग में भयानक रस का सजीव प्रतिफलन हुआ है। इस सम्बन्ध में -"रुरुआ चहुँ दिसि ररत डरत सुनिकै नर-नारी" से प्रारम्भ होने वाला पद्य-खण्ड द्रष्टव्य है।
छायावादी काव्य की प्रकृति के यह रस प्रतिकूल है, परन्तु नवीन काव्य में वैचित्र्य के साथ यत्र-तत्र इसकी भी झलक मिलती है।
रस के भेद-
रस 9 प्रकार के होते हैं परन्तु वात्सल्य एवं भक्ति को भी रस माना गया हैं।
१- श्रंगार रस Shringar Ras
२- हास्य रस Hasya Ras
३- वीर रस Veer Ras
४- करुण रस Karun Ras
५- शांत रस Shant Ras
६- अदभुत रस Adbhut Ras
७- भयानक रस Bhayanak Ras
८- रौद्र रस Raudra Ras
९- वीभत्स रस Vibhats Ras
१०- वात्सल्य रस Vatsalya Ras
११- भक्ति रस Bhakti Ras